Shiv Shakti आज के एपिसोड की शुरुआत देवराज इंद्र के इस विश्वास से होती है कि वह Lord Shiv के त्रिशूल की मदद से महिषासुर को हराने में सफल होंगे। वह महिषासुर को खत्म करने के संकल्प के साथ अपने सैनिकों को लेकर निकल पड़ते हैं। इंद्र देव को पूरा विश्वास है कि शिवजी के त्रिशूल की शक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकेगा।
दूसरी ओर, शुकाचार्य बैल की आवाज सुनते हैं और असुरों को उस स्थान को खोदने का आदेश देते हैं। वह महिषासुर के उस स्थान पर छिपे होने का अंदेशा जाहिर करते हैं। तभी देवराज इंद्र अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंचते हैं। शुकाचार्य Lord Shiv के त्रिशूल को देखकर ताना मारते हैं कि इंद्र अपनी शक्ति पर भरोसा नहीं कर रहे, इसलिए शिवजी की मदद लेने आए हैं। इंद्र इसका जवाब देते हैं कि महिषासुर ने तपस्या कर ब्रह्मदेव से वरदान लिया है, तो भगवान शिव की सहायता लेना भी अनुचित नहीं है।
शुकाचार्य अपने असुरों को इंद्र के सामने रुकने के लिए कहते हैं, लेकिन इंद्र दृढ़ संकल्प के साथ कहते हैं कि वह कभी हारना नहीं सीखे और महिषासुर को बाहर निकलने नहीं देंगे। इंद्र शिवजी के त्रिशूल का इस्तेमाल कर मिट्टी को पत्थर में बदल देते हैं, जिससे असुर खोदने में असमर्थ हो जाते हैं। असुर घबरा जाते हैं और शुकाचार्य से पूछते हैं कि अब महिषासुर को कैसे ढूंढा जाए। इंद्र शुकाचार्य को चुनौती देते हुए कहते हैं कि शिवजी की शक्ति को कोई पराजित नहीं कर सकता।
इसी बीच, कैलाश में माता पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं कि अब क्या होगा। कार्तिकेय चिंतित होते हैं और कहते हैं कि शुकाचार्य त्रिशूल की शक्ति को कैसे चुनौती दे सकते हैं। गणेश कहते हैं कि शुकाचार्य को कम आंकना ठीक नहीं होगा।
शुकाचार्य अपनी बुद्धिमानी से बैलों को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं कि मातृत्व की शक्ति भगवान शिव के त्रिशूल की शक्ति को मात दे सकती है। वह बैलों से कहते हैं कि वे महिषासुर को बाहर लाएं क्योंकि वह उनका पुत्र समान है। बैल अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर दूध से पत्थरों को पिघलाते हैं, जिसे देखकर इंद्र हैरान रह जाते हैं। शुकाचार्य कहते हैं कि महिषासुर का पुनर्जन्म होने वाला है।
चंद्र देव इंद्र से कहते हैं कि उन्हें कुछ करना चाहिए, अन्यथा बैल महिषासुर को बाहर निकालने में सफल हो जाएंगे। इंद्र बैलों को मारने के लिए Lord Shiv के त्रिशूल का उपयोग करने का प्रयास करते हैं, लेकिन तभी भगवान शिव खुद आकर अपने त्रिशूल को रोक लेते हैं। शिवजी कहते हैं कि वह और उनका त्रिशूल मातृत्व के खिलाफ खड़े नहीं हो सकते।
बैलों का दूध महिषासुर तक पहुंचता है और वह जाग जाता है। देवता इस घटना को देख कर भयभीत हो जाते हैं। देवराज इंद्र त्रिदेव से मदद की गुहार लगाते हैं, लेकिन शुकाचार्य कहते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता। वह गर्व से घोषणा करते हैं कि अब असुरों का राज होगा।
नारद भगवान शिव से कहते हैं कि महिषासुर का पुनर्जन्म ब्रह्मांड और देवताओं के लिए ठीक नहीं है। इस पर भगवान शिव उत्तर देते हैं कि कोई भी अपने कर्मों से बच नहीं सकता। वह नारद को याद दिलाते हैं कि कैसे देवराज इंद्र ने महिषासुर के माता-पिता को मारा था और अब इंद्र को इसके लिए सजा मिलेगी। महिषासुर का पुनर्जन्म होना तय है।
महिषासुर बाहर आता है और असुर उसका जयकारा लगाते हैं। महिषासुर इंद्र की ओर देखता है और जोर से चिल्लाता है। इंद्र अपनी रक्षा के लिए अपना हथियार उठाते हैं, लेकिन महिषासुर अपनी शक्ति का उपयोग कर इंद्र पर हमला करता है।
Precap:
अगले एपिसोड में, महिषासुर देवताओं पर और अधिक शक्तिशाली हमला करता है। क्या इंद्र देव महिषासुर से लड़ाई जीत पाएंगे या असुरों का राज शुरू हो जाएगा?
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