बिहार के मुजफ्फरपुर में नकली गहनों पर 20 लाख रुपये का लोन लेने का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। Fake Gold Scam में नकली सोने के गहनों को गिरवी रखकर यूनियन बैंक से लोन लिया गया था। यह मामला लगभग सात साल पुराना है, जब लोन के लिए गहने गिरवी रखे गए थे। जब लोन की राशि का भुगतान नहीं किया गया और बैंक ने गहनों को नीलाम करने का निर्णय लिया, तब इस बड़े घोटाले का खुलासा हुआ। बैंक अधिकारियों को जब गहनों की जांच करने पर पता चला कि वे गहने नकली हैं और उनमें केवल सोने का पानी चढ़ाया गया है, तो पूरे मामले ने एक गंभीर मोड़ ले लिया।
फर्जीवाड़े का खुलासा कैसे हुआ?
यह मामला तब सामने आया जब बैंक ने लोन की राशि न चुकाने पर नोटिस जारी किया, लेकिन लोन लेने वालों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद बैंक ने गहनों की नीलामी करने का निर्णय लिया। नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान गहनों को जब लॉकर से निकाला गया और उनकी जांच की गई, तब बैंक के अधिकारियों को चौंकाने वाली सच्चाई का पता चला। जांच में सामने आया कि गिरवी रखे गए गहने नकली थे और इन पर केवल सोने का पानी चढ़ाया गया था। इसके बाद बैंक ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और फर्जीवाड़े की जांच शुरू हुई।
फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों की सूची
बैंक प्रबंधक अखिलेश कुमार ने इस मामले को लेकर नगर थाने में अलग-अलग 12 एफआईआर दर्ज कराई हैं, जिसमें 10 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है। एफआईआर में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनमें आभूषण व्यापारी भोला प्रसाद भी शामिल हैं, जो लोन के समय गहनों की जांच के लिए प्राधिकृत थे। भोला प्रसाद ने इन नकली गहनों को असली बताकर बैंक को धोखा दिया, जिसके आधार पर 20 लाख रुपये का लोन जारी किया गया था।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जब लोन लिया गया था, तब गहनों की जांच ब्रह्मपुरा के आभूषण दुकानदार और कांटी निवासी भोला प्रसाद ने की थी। बैंक की ओर से उन्हें गहनों की जांच करने का अधिकार दिया गया था। उन्होंने उस समय इन नकली गहनों को असली बताया और बैंक ने उनके प्रमाणन के आधार पर लोन जारी कर दिया। बाद में, जब लोन की राशि वापस नहीं की गई और नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई, तब पता चला कि गहने नकली थे। इस फर्जीवाड़े के कारण बैंक को 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
एफआईआर दर्ज और पुलिस जांच
फर्जीवाड़े का पता चलते ही बैंक प्रबंधक अखिलेश कुमार ने नगर थाने में अलग-अलग 12 एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें 10 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है। नगर थानेदार शरत कुमार ने बताया कि गुरुवार को इस फर्जीवाड़े के चार और मामले दर्ज किए गए, जबकि पहले से ही आठ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इस प्रकार कुल 12 मामले दर्ज हो चुके हैं और पुलिस इनकी जांच कर रही है।
आरोपियों की सूची
बैंक प्रबंधक की एफआईआर में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनमें ब्रह्मपुरा निवासी पूर्णेंदू कुमार, सरैया के रेवा डीह निवासी आलोक कुमार चौधरी, कांटी कोठिया निवासी रामबहादुर सहनी, मालीघाट निवासी अरुण साह, कांटी के अहलादपुर निवासी राम कुमार, कन्हौली खादी भंडार के भरत कुमार, गायघाट के रामनगर निवासी अभिरंजन, बालूघाट की दीपा कुमारी, सदर थाना के पताहीं निवासी महेंद्र पासवान और बालूघाट के पंकज कुमार शामिल हैं।
फर्जीवाड़े की गहराई से जांच
इस फर्जीवाड़े की जांच अब गहराई से की जा रही है, और पुलिस सभी आरोपियों की पहचान करने के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। बैंक के अधिकारियों ने भी इस बात पर जोर दिया है कि इस मामले में शामिल सभी दोषियों को सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
बैंकिंग सेक्टर में इस तरह की धोखाधड़ी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सावधानी और सतर्कता की कितनी जरूरत है। नकली गहनों पर लोन लेने जैसे फर्जीवाड़े न सिर्फ बैंकिंग प्रणाली को कमजोर करते हैं, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाते हैं।
निष्कर्ष
Fake Gold Scam ने यह साबित कर दिया है कि धोखाधड़ी किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, चाहे वह बैंकिंग हो या आभूषण का कारोबार। इस मामले ने यह भी दर्शाया कि किसी भी प्रकार के लोन के दौरान पूरी जांच-पड़ताल और सतर्कता बरतनी चाहिए। पुलिस और बैंक प्रशासन इस मामले की तह तक जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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